दुनिया का एकमात्र स्थान जहां भगवान हनुमान अपनी माता के साथ विराजते हैं-The only place in the world where Lord Hanuman sits with his mother
सालासर बालाजी धाम हनुमानजी के 10 प्रमुख सिद्ध शक्ति पीठों में से सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। सालासर हनुमानजी का मंदिर पूर्व मुखी है जिसके आग्नेय क्षेत्र में धूनी जलती रहती है। इसके ईशान क्षेत्र में कुआं है। इस मंदिर का नैत्र्ग्य कोण क्षेत्र बंद है। श्रीबाला जी के मंदिर की पूर्व दिशा में 2 किलोमीटर पर अंजना माता का मंदिर है। सन् 1754 ई. में नागौर के असोटा निवासी साखा जाट को घिटोला के खेत में हल जोतते समय एक मूर्ति मिली।
रात को स्वप्न में श्री हनुमान ने प्रकट होकर मूर्ति को सालासर पहुंचाने का आदेश दिया। उसी रात सालासर में भक्त मोहनदास जी को भी हनुमान जी ने दर्शन देकर कहा कि असोटा ठाकुर द्वारा भेजी गई काले पत्थर की मूर्ति को टीले पर जहां बैल चलते-चलते रुक जाएं, वहीं श्री बालाजी की प्रतिमा स्थापित कर देना। वह बैलगाड़ी आज भी सालासर धाम में दक्षिण पोल पर दर्शनार्थ रखी हुई है। सालासर में स्वयं हनुमानजी स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान हैं। यह विश्व में हनुमान भक्तों की असीम श्रद्धा का केंद्र है। यहां हर भक्त की हर मनोकामना पूर्ण होती हैं।
लोकमान्यता के अनुसार कुछ वर्षों के लिए माता अंजना व हनुमानजी को राजस्थान राज्य के चुरू ज़िले स्थित सालासर क्षेत्र से गुजरना पड़ा। सालासर धाम हनुमान जी का एकमात्र ऐसा स्थान है जहां हनुमान जी के साथ माता अंजना भी विराजित हैं। लोकमान्यता के अनुसार सलारसर धाम ही एक मात्र ऐसा मंदिर हैं जहां हनुमानजी के शरीर का बाल भी गिरा था।
हनुमान जी का सालासर रूप दाढ़ी मूछों वाला है। कहते हैं कि मोहनराम जी को प्रथम बार बालाजी ने दाढ़ी मूंछों के रूप में दर्शन दिए थे इसलिए मोहनराम जी ने बालाजी को उसी रूप में दर्शन देने के लिए कहा इसलिए हनुमान जी की दाढ़ी मूछें हैं। बालाजी मंदिर का निर्माण कार्य मुसलमान कारीगरों द्वारा हुआ था। माना जाता है की 300 वर्ष पूर्व बाबा मोहनदास जी ने इस स्थान पर धुनी रमाई थी जो आज तक अखंड रूप से प्रज्जवलित है। बाबा मोहनदास की समाधि के दर्शन करके ही भक्त बालाजी के दर्शनों के लिए आगे बढ़ते हैं।
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