तारा देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश-Tara Devi Temple, Himachal Pradesh

 

 शिमला के साथ लगती चोटी पर स्थित मां तारा का मंदिर हर मनोकामनाओं का पूरी करने वाला है। शिमला शहर से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर बनाया गया यह मंदिर काफी पुराना है। हर साल यहां लाखों लोग मां का आर्शीवाद लेने पहुंचते हैं।


 

कहा जाता है कि करीब 250 साल पहले मां तारा को पश्चिम बंगाल से शिमला लाया गया था। सेन काल का एक शासक मां तारा की मूर्ति बंगाल से शिमला लाया था।
जहां तक मंदिर बनाने की बात है तो राजा भूपेंद्र सेन ने मां का मंदिर बनवाया था। ऐसा माना जाता है कि एक बार भूपेंद्र सेन तारादेवी के घने जंगलों में शिकार खेलने गए थे।
इसी दौरान उन्हें मां तारा और भगवान हनुमान के दर्शन हुए। मां तारा ने इच्छा जताई कि वह इस स्थल में बसना चाहती हैं ताकि भक्त यहां आकर आसानी से उनके दर्शन कर सके। इसके बाद राजा ने यहां मंदिर बनवाना शुरू किया।
राजा ने मंदिर बनवाने के लिए दान की अपनी जमीन राजा ने अपनी जमीन का एक बड़ा हिस्सा मंदिर बनवाने के लिए दान कर दिया। कुछ समय बाद मंदिर का काम पूरा हो गया और लकड़ी की बनी मां की मूर्त यहां स्थापित कर दी गई। इसके बाद शासक हुए बलबीर सेन को भी मां ने दर्शन दिए जिसके बाद सेन ने अष्टधातु की मूर्त यहां स्थापित की और मंदिर का निर्माण किया। चोटी पर बने इस मंदिर के एक ओर घने जंगल है जबकि दूसरी ओर सड़कें। यह मंदिर अब बस सेवा से भी जुड़ गया है। साथ लगते जंगल में शिव बावड़ी भी है।

 


पहली कहानी
शिकार के दौरान राजा को मां तारा ने दर्शन दिएमां ने इच्छा जताई कि वह इसी जंगल की पहाड़ी पर बसना चाहती हैं ताकि भक्त आसानी से यहां आकर उनके दर्शन कर सकेराजा ने भी हामी भर दीराजा ने अपनी आधी से ज्यादा जमीन मंदिर निर्माण के लिए सौंप दीयहां मंदिर निर्माण का काम शुरू हो गयाकुछ समय बाद जब मां का मंदिर तैयार हुआ तो राजा ने लकड़ी की मूर्ति के स्वरूप में यहां माता को स्थापित कर दियाकहते हैं भूपेंद्र सेन के बाद मां ने उनके वशंज बलबीर सेन को भी दर्शन दिएसेन ने यहां अष्टधातु की मूर्ति स्थापित की और मंदिर का निर्माण आगे बढ़ाया.

दूसरी कहानी
एक दूसरी कथा के अनुसार कहा जाता है कि 250 साल पहले मां तारा को पश्चिम बंगाल से शिमला लाया गया थाशिमला में सेन काल का एक शासक मां तारा की मूर्ति बंगाल से यहां लाया थामां तारा भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैंयही वजह है कि हर साल यहां लाखों भक्त दर्शन करने आते हैंइसके अलावा पश्चिम बंगाल से शिमला आने वाले पर्यटक इस मंदिर में जाना नहीं भूलतेलोगों की ऐसी मानता है कि मंदिर के साथ करीब दो किलोमीटर नीचे जंगल में शिवबावड़ी भी है जहां बावड़ी में पैसे डालने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

 

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