मंदिर में चप्पल बाहर क्यों उतारते हैं ?-Why take slippers out in the temple?





दरअसल शास्त्रों माना जाता है कि जूते चप्पल में ताम धातु होती है जो इंसान को नरक लोग यानि पाताल से जोङती है ।जबकि मंदिर में चारों तरफ ईश्वर का वास होता है।  जूते – चप्पल इंसान को गंदगी के जरिए नरक  की नकारात्मक ऊर्जा से जोङते है और नरक यानि राक्षसों का घर । जिस वजह से मंदिर जूते चप्पल पहनकर आना वर्जित माना जाता है। वैसे अगर साधारण शब्दों कहा जाए तो जूते चप्पल में डर्ट पार्टिकल्स होने के कारण उन्हें मंदिर में पहनकर आना गलत  होता है, क्योंकि वो मंदिर के स्वस्थ वातावरण में गंदगी लेकर आते हैं ।


और दूसरा  कारण ये भी है कि हमारे समाज में अमीर और गरीब लोगों के काफी असमानता है। जिस वजह से कई बार गरीब लोगों नीचा महसूस होता है।

लेकिन भगवान  सबके लिए बराबर है जिस वजह  मंदिर के अंदर लोगों के बीच अमीर गरीब के फासले को खत्म करने के  भी लोगो को मंदिर में जाने से पहले जूते उतारने पङते है ।

वहीं मंदिर में बिना जूते चप्पल के चलने से हमारे पैरों में एक ठंडक महसूस होती है जो हमारे शरीर से तनाव को खत्म कर सूकून और शांति देते हैं। और हमें ईश्वर की भक्ति में लीन होने में मदद करते हैं। क्योंकि जब हम मंदिर के धरातल पर बिना जूते चप्पल के पैर रखते हैं तो एक सकारात्मक ऊर्जा पैरो के जरिए शरीर में प्रवेश करती है जिसे हम अच्छा महसूस करने लगते हैं।

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