पूजा करते समय अगरबत्ती का इस्तेमाल क्यों नहीं करना चाहिए?-Why not use incense sticks while worshiping?
बाँस को जलाना उचित नही माना जाता है, यहां तक कि जब हमारे हिन्दू धर्म में विवाह में भी बाँस का सामान बेटी के कन्यादान में दिया जाता है, जिसका अर्थ होता है कि बाँस अर्थात् ‘वंश’, जिससे बेटी जिस घर में जाए उस घर का वंश बढ़ता रहे।
लेकिन लोग देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बाँस की लकड़ियों से बनी अगरबत्ती का धड़ल्ले से उपयोग करते है, जो अनुचित है इसके बजाए गाय के गोबर में गूगल, घी, चन्दन, कपूर आदि मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना कर सूखा कर उन्हें जलाना चाहिए। इससे वातावरण शुद्ध होता है।
शास्त्रों में भी बाँस की लकड़ी को अनुचित बताते है। गौ माता के गोबर, गौमूत्र, घी, भीमसेनी कपूर, नीम से बनाई गौ शाला में निर्मित धूपबत्ती का ही प्रयोग सर्वोत्तम व स्वास्थ्य वर्द्धक है। 10 ग्राम घी जलाने से एक टन वायु शुद्ध होती है।
पूजा अर्चना के लिए प्रयोग किए जाने वाली अगरबत्ती आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय के गिलिंग्स स्कूल ऑफ ग्लोबल हेल्थ ने एक अनुसन्धान में कहा है कि अगरबत्ती के धूएं से फेफड़ों को हानि पहुंच सकती है। इसलिए अगरबत्तियों से दूरी बनाने में ही समझदारी है।
ताजा अनुसन्धान में कहा गया है कि यदि अगरबत्तियां गौ माता से प्राप्त मिश्रण से बनाई जाए तो वे उत्तम होती है लेकिन यदि इस बनाने में कैमिकल्स आदि का मिश्रण किया जाए तो यह हमारे शरीर के लिए घातक होती है। इसको जलाने पर प्रदूषणकारी गैसों का उत्सर्जन होता है, जिसमें कार्बन मोनोऑक्साइड शामिल है। प्रदूषणकारी गैसों के कारण फेफड़ों की कोशिकाओं में सूजन आ सकती है।
गाय के पंचगव्य से निर्मित धूप बहुत ही अच्छी होती है इसलिए ऋषि मुनि भी हवन आदि करते रहे है। धूप जलाने से ऊर्जा का सृजन होता है। स्थान पवित्र हो जाता है एवं मन को शान्ति मिलती है। इनसे नकारात्मक ऊर्जाओं वाली वायु शुद्ध हो जाती है। इसलिए प्रतिदिन धूप जलाना अति उत्तम और बहुत शुभ है।
फेंगशुई में लम्बी आयु के लिए बाँस के पौधे बहुत शक्तिशाली प्रतीक माने जाते हैं। बांस प्रतिकूल परिस्थितियों में भी भरपूर वृद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं और किसी भी प्रकार के तूफानी मौसम का सामना करने का सामर्थ्य रखने के प्रतीक है। यह पौधा अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है। यह अच्छे भाग्य का भी संकेत देता है।।
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