पांवटा साहिब का इतिहास (History of Poanta Sahib)

पांवटा साहिब (पौंटा साहिब) (Poanta Sahib)


पांवटा साहिब सिख धर्म में एक धार्मिक स्थल के रूप में प्रचलित है। यह हिमाचल के सिरमौर जिले के दक्षिणी ओर की तरफ यमुना नदी के तट पर स्थित है। गुरुद्वारा पांवटा साहिब सिख धर्म के दसवें सिख गुरु गोबिंदसिंह जी और सिख नेता बंदा बहादुर को समर्पित है। इसे पौंटा साहिब भी कहा जाता है जो पावंटा का ही अपभ्रंश रूप है। 


पांवटा साहिब का इतिहास (History of Poanta Sahib)
पांवटा  या 'पौंटा' का अर्थ होता है- 'पैर जमाने की जगह'। ऐसा माना जाता है कि गुरु गोबिंदसिंह जी आनन्दपुर में प्रस्थान करने से पहले पांवटा साहिब रुके थे और पांवटा साहिब में ही उन्होंने दसम ग्रंथ की रचना की थी। इस धार्मिक स्थल पर सोने से बनी एक पालकी है जो कि एक भक्त द्वारा ही यहां भेंट में दी गई थी।
श्री तलब स्थान और श्री दस्तर स्थान इस सिख मंदिर के अन्दर दो महत्त्वपूर्ण स्थान हैं। श्री तलब स्थान में वेतन बांटा जाता है और श्री दस्तर स्थान में पगड़ी बांधने की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।
गुरुद्वारे के परिवेश में एक संग्रहालय है जहां पर उस समय के हथियार और गुरु जी की कलम संरक्षित रखी गई है। गुरुद्वारे से एक पौराणिक मंदिर भी जुड़ा हुआ है जो कि यमुना देवी को समर्पित है। गुरुद्वारे के समीप कवि दरबार है जो कविताओं की प्रतियोगिता के लिए इस्तेमाल में आता है।

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