क्या आप जानते है, चूहा कैसे बना गणेशजी की सवारी

भगवान गणेश शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं। गणेश जी की सवारी मूषक मानी जाती है। गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है। ज्योतिष में केतु का देवता श्री गणेशजी जी को माना जाता है। गणेश जी की पूजा सभी देवताओं में सबसे पहले की जाती है। क्या आपने सोचा है कि गणेश जी की सवारी एक चूहा क्यों हैं? आइए आज जानते हैं गणेश जी की सवारी कैसे बना मूषक-

एक पौराणिक कथा के अनुसार एक आधा भगवान और आधा राक्षक प्रवृत्ति वाला नर क्रोंच था। एक बार भगवान इंद्र ने अपनी सभा में मुनियों की सभा बुलाई, जिसमें क्रोंच भी शामिल हुआ। सभा में गलती से क्रोंच का पैर एक मुनि के पैरों पर रख गया। इससे क्रोधित उस मुनि ने क्रोंच का चूहे बनने का श्राप दिया। जिसके बाद वह क्रोंच चूहा बन गया। क्रोंच ने मुनि से क्षमा मांगी, लेकिन वह अपना श्राप वापस नहीं ले पाए। लेकिन उस मुनि ने एक वरदान दिया कि आने वाले समय में वो भगवान शिव के पुत्र गणेश की सवारी बनेंगे।



एक और पौराणिक कथा के अनुसार क्रोंच एक विशाल चूहा था। जो मिनटों में पहाड़ों को कुतर देता था। उसके रास्तों में जो भी आता उसे ढ़ेर कर देता था। उसके उस आंतक से सब परेशान हो चुके थे। एक दिन महर्षि परमार ने धरती पर भोग के लिए भगवान श्री गणेश को आमंत्रित किया। भोग के बाद मुनि ने इस चूहे के आंतक की कहानी गणेश की बात बताई। गणेश जी ने एक रस्सी की मदद से उस चूहे को पकड़ लिया और चूहे की पीठ पर बैठ गए। इसके बाद क्रोंच ने गणेश जी से अपने द्वारा किए गए  बुरे कार्यों के लिए माफी मांगी और हमेशा के लिए उनका वाहन बन गए।

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