Shani Dev Temple, Morena-शनि देव मंदिर, मुरैना
विश्व का प्रसिद्ध रामायण कालीन भगवान शनिदेव मंदिर ऐंती जिला मुरैना में श्रद्धालुओं की आस्था का सैलाव देखने को मिलेगा। शनिचरा पर भगवान शनिदेव के आने की कथा त्रेता काल से जुड़ी बताई जाती है। सीताजी की खोज के दौरान हनुमान जी ने लंका दहन किया तब उन्होंने रावण की चंगुल से शनिदेव को मुक्त कराते हुए लंका से फेंक दिया था जो कि ऐंती के पास आकर गिरे और यहां उन्होंने तपस्या का शक्ति अर्जित की थी। तभी से यहां पर शनि देव का मेला हर साल लगता है। जिससे देश ही नहीं विदेश से भी भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
हनुमानजी ने कराया था रावण की कैद से मुक्त
ऐसी मान्यता है कि ऐंती स्थित शनि पर्वत पर स्वयं शनिदेव ने तपस्या कर अपनी खोई हुई शक्तियों को प्राप्त किया था। शनिदेव को रावण ने बंधक बनाकर अपने पैरों का आसन बना लिया था। जब हनुमानजी ने लंका दहन का प्रयास किया तो कामयाब नहीं हुए। कारण खोजने पर पता चला कि शनिदेव लंका में मौजूद हैं। हनुमानजी ने अपने बुद्धि चातुर्य ने उन्हें मुक्त कराया और लंका छोडऩे को कहा।
सालों से रावण के पैरों के नीचे पड़े रहने से शनिदेव दुर्बल हो गए थे। उन्होंने तुरंत लंका छोडऩे में असमर्थता जाहिर कर दी। हालांकि शनिदेव ने उपाय बताया कि हनुमानजी उन्हें पूरे वेग से भारत भूमि की ओर फेंक दें। शनिदेव के लंका छोडऩे के बाद ही हनुमानजी उसे दहन कर पाए। शनिदेव ऐंती पर्वत पर आकर गिरे और यहीं तपस्या कर अपनी सिद्धियां दोबारा से प्राप्त कीं। वहीं से हनुमानजी और शनिदेव की मित्रता हो गई। यही वजह है कि शनिवार को हनुमानजी की पूजा करने से भी शनि कष्टों से मुक्ति मिलती है।
Lord Shani Dev Temple of the world famous Ramayana, Aanti District Morena will witness the pilgrimage of devotees' faith. The story of Lord Shani Dev's arrival on Shani Chara is said to be related to the Treta period. During the search of Sitaji, Hanuman ji burnt Lanka when he was thrown from Lanka, freeing Shani Dev from the clutches of Ravana, who fell to Anti and here he gained the power of penance. Since then, a fair of Shani Dev is held here every year. Due to which large number of devotees come from not only the country but also from abroad.
Hanumanji got rid of Ravana's captivity
It is believed that Lord Shani himself attained his lost powers by doing penance on the Shani mountain at Anti. Ravana had made Shani Dev hostage and made his feet easy. Hanumanji did not succeed when he attempted Lanka Dahan. On finding the reason, it was found that Shanidev is present in Lanka. Hanumanji liberated him by his wisdom tact and asked him to leave Lanka.
For years, Shanidev was weakened by being lying under Ravana's feet. He immediately expressed his inability to leave Lanka. However, Shanidev suggested the solution that Hanumanji throw them towards India land with full speed. It was only after Shanidev left Lanka that Hanuman could burn him. Shanidev fell on Mount Aanti and did his penance here and regained his attainments. From there, Hanumanji and Shanidev became friends. This is the reason that worshiping Hanumanji on Saturday also gives relief from Shani sufferings.
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