History of Hanuman Jayanti -हनुमान जयंती का इतिहास
हनुमान जी को शक्तिशाली देवों की श्रेणी में रखा गया है। उनके नाम मात्र से आसुरी शक्ति गायब हो जाती है। उन्हें प्रभु श्री राम के अनुयायी के तौर पर भी जाना जाता है। पवन पुत्र हनुमान के जन्म की कहानी भी काफी रोचक है, जो कि इस प्रकार है।
अंजना-केसरी के पुत्र
अंजना-केसरी के पुत्र
अंजना-केसरी के पुत्र हैं हनुमान - पुराणों के अनुसार हनुमान जी को जन्म माता अंजनी ने दिया है। जबकि केसरी उनके पिता है। उनका जन्म वानर वंशज में हुआ है। उन्हें वायु देव के पुत्र व पवन सुत हनुमान के तौर पर भी जाना जाता है।
अंजनी की पुत्र कामना
अंजनी की पुत्र कामना
शिव जी से की थी पुत्र कामना - 16वीं शताब्दी के भावार्थ रामायण के अनुसार पुत्र प्राप्ति के लिए माता अंजनी ने शिव जी से प्रार्थना की थी। इसके अलावा अयोध्या के राजा दशरथ ने भी पुत्र कामना से पुत्रकाम यज्ञ किया था।
प्रसाद का हलवा

प्रसाद का हलवा
प्रसाद में मिला था हलवा - शिव जी ने राजा दशरथ के यज्ञ से प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद के रूप में हलवे का प्रसाद दिया। जिसे दशरथ की तीनों रानियों को ग्रहण करना था।
प्रसाद का हलवा
प्रसाद का हलवा
चील ले गया था हलवे का टुकड़ा - पुराणों के अनुसार जिस समय दशरथ की तीनों रानियां प्रसाद खा रहीं थी तभी एक दैवीय शक्ति वाला चील आया और प्रसाद से हलवे का एक टुकड़ा चोंच में दबाकर ले गया। चील ने उस टुकड़े को ले जाकर उस जंगल में गिरा दिया जहां माता अंजनी की कुटिया थी।
हनुमान जी का जन्म
हनुमान जी का जन्म
ईश्वर का आशीर्वाद समझ कर खाया - जब माता अंजनी कुटिया के बाहर कुछ कार्य कर रहीं थी, तभी उनके हाथ में हलवा आकर गिरता है। वो हलवे को भगवान का प्रसाद समझकर ग्रहण कर लेती हैं। तभी मां अंजनी की कोख से हनुमान जी जन्म लेते हैं।
हनुमान का शाब्दिक अर्थ
हनुमान का शाब्दिक अर्थ
हनुमान नाम का वास्तव में क्या नाम इसमें मतभेद हैं। कई विद्वानों ने इसे अपने-अपने ज्ञान के आधार पर वर्णन किया है। एक अर्थ के अनुसार हनु का मतलब उस व्यक्ति से है जिसके पास जबड़ा होता है। वहीं हनु का मतलब सर्वशक्तिमान होता है।
कई नामों से पुकारते हैं भक्त
कई नामों से पुकारते हैं भक्त
भगवान हुनमान का कई नामों से पुकारा जाता है। इनमें बजरंगबली, पवनसुत हनुमान, केसरीनंदन, संकट मोचन आदि शामिल है।
पुराणों में है उल्लेख
पुराणों में है उल्लेख
बजरंगबली की वीर गाथाओं, उनकी बाल लीला, राम-सीता के प्रति अपार प्रेम व सत्यनिष्ठा की कहानी का उल्लेख रामायण, महाभारत, भक्ति सागर जैसे विशेष पुराणों में देखने को मिलती है।
भूख लगने पर निगल गए थे सूर्य
भूख लगने पर निगल गए थे सूर्य
बाल्यकाल से ही हनुमान जी की लीलाएं अपरंपार रहीं हैं। इन्हीं लीलाओं में से एक है, जब हनुमान जी छोटे थे। उन्हें बहुत जोर की भूख लगी, तो उन्होंने सूर्य को लाल फल समझ कर निकल लिया था।
शनिदेव पर भी पड़ते हैं भारी
शनिदेव पर भी पड़ते हैं भारी
हनुमान जी की शक्ति असीम है। उनका व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली है कि उनकी एक झलक से भूत-प्रेत भी भाग जाते हैं। इतना ही नहीं कर्मफल दाता शनि देव भी हनुमान जी के भक्त हैं। वे हनुमान जी की पूजा करने वालों को कभी नहीं सताते हैं।
Hanuman in the category of gods
Hanuman ji is placed in the category of competitive gods. The demonic power disappears with the mere name of them. He is also known as a follower of Lord Shri Ram. The story of the birth of Pawan son Hanuman is also quite interesting, which is as follows.
Son of Anjana-Kesari
Son of Anjana-Kesari
Hanuman is the son of Anjana-Kesari - According to the Puranas, the birth mother of Anjani was given by Anjani. While Kesari is his father. He is born in a monkey lineage. He is also known as the son of Vayu Dev and Pawan Sut Hanuman.
Anjani's son wishes
Anjani's son wishes
Son was wished for Shiva ji - According to the 16th century Bhavartha Ramayana, Mother Anjani prayed to Shiva to get a son. Apart from this, King Dasaratha of Ayodhya also performed a son-in-law sacrifice with his son Kamna.
Prasad's Pudding
Prasad's Pudding
Halwa was found in Prasad - Shiva ji was pleased with the sacrifice of King Dasaratha and gave him pudding as a blessing. The one who had to take all the three rites of Dasharatha.
Prasad's Pudding
Prasad's Pudding
The eagle had taken a piece of halwa - According to the Puranas, when the three queens of Dasharatha ate the prasad, only one divine power eagle came and took a piece of pudding from the prasad by pressing it into the beak. The eagle took the piece and dropped it in the forest where Mata Anjani's hut was.
Birth of Hanuman
Birth of Hanuman
Emperor considering the blessings of God - When mother Anjani was doing some work outside the hut, halwa falls in her hand. They take Halwa as a Prasad of God and accept it. Hanuman ji is born only from the womb of mother Anjani.
The literal meaning of Hanuman
The literal meaning of Hanuman
What exactly is the name of the name Hanuman? Many scholars have described it based on their own knowledge. According to one meaning Hanu means the person who possesses when. At the same time, Hanu means submissive.
Devotees call by many names
Devotees call by many names
Lord Hanuman is called by many names. These include Bajrangbali, Pawansut Hanuman, Kesarinandan, Sankat Mochan etc.
The Puranas mention
The Puranas mention
The story of the heroic saga of Bajrangbali, his bal leela, the immense love and truthfulness of Ram-Sita are mentioned in special Puranas like Ramayana, Mahabharata, Bhakti Sagar.
The broom was dry when hungry
The broom was dry when hungry
Hanuman's pastimes have been uncompromising since childhood. He is one of these leelas, when Hanuman ji was younger. When he was very hungry, he had taken the sun as a red fruit.
They fall heavily on Shani Dev
They fall heavily on Shani Dev
The power of Hanuman ji is limitless. His personality is so impressive that even a glimpse of him escapes the ghosts. Not only this, Shani Dev, the donor of Karmaphal, is also a devotee of Hanuman. They never persecute those who worship Lord Hanuman.
भगवान हनुमान के जन्म की कथा, माता अंजना से जुड़ी हुई है। भगवान हनुमान माता अंजना और केसरी नन्दन के पुत्र थे, जो अंजनागिरि पर्वत के थे। पहले अंजना, भगवान ब्रह्मा के कोर्ट में एक अप्सरा थी, उसे एक ऋषि ने शाप देकर बंदरिया बना दिया।
अपने बचपन में अंजना ने एक बंदर को पैरों पर खड़े होकर ध्यान लगाते देखा, तो उसने उस बंदर को फल फेंक कर मार दिया। वह बंदर एक ऋषि में बदल गया और उसकी तपस्या भंग होने पर वह क्रोधित हो गया। उसने अंजना को शाप दिया कि जिस दिन उसे किसी से प्रेम हो जाएगा, उसी क्षण वह बंदरिया बन जाएगी।
अंजना ने बहुत माफी मांगी और ऋषि से उसे क्षमा करने को कहा। पर ऋषि ने एक नहीं सुनी और अंजना को शाप देकर कहा कि वह प्रेम में पड़ने के बाद बंदरिया बन जाएगी लेकिन उसका पुत्र भगवान शिव का रूप होगा।
कुछ समय बाद, अंजना जंगलों में रहने लगी। वहां उसकी भेंट केसरी से हुई, जिससे प्रेम होने पर वह बंदरिया बन गई और केसरी ने अपना परिचय देते हुए अंजना को बताया कि वह बंदरों का राजा है। अंजना ने गौर से देखा तो पाया कि केसरी के पास ऐसा मुख था जिसे वह मानव से बंदर या बंदर से मानव कर सकता था। केसरी की ओर से प्रस्ताव रखने पर अंजना मान गई और दोनों का विवाह हो गया। अंजना ने घोर तपस्या की और भगवान शिव से उनके समान एक पुत्र मांगा। भगवान ने तथास्तु कहा।
वहीं दूसरी ओर, अयोध्या के राजा दशरथ ने पुत्र की प्राप्ति के लिए पुत्रकामेस्थी यज्ञ आयोजित किया। अग्नि देव को प्रसन्न करने के बाद उन्होने दैवीय गुणों वाले पुत्रों की कामना की। अग्निदेवता ने प्रसन्न होकर दशरथ को एक पवित्र हलवा दिया, जिसे तीनों पत्नियों में बांटने को कहा। राजा ने बड़ी रानी तक हलवे को पंतग से पहुंचाया, वहीं बीच में कहीं माता अंजना प्रार्थना कर रही थी, हवन की कटोरी में वह हलुवा जा गिरा, माता अंजना ने उस हलवे को ग्रहण कर लिया। उसे खाने के बाद उन्हे लगा जैसे गर्भ में भगवान शिव का वास हो गया हो।
इसके पश्चात उन्होने हनुमान जी को जन्म दिया। भगवान हनुमान को वायुपुत्र इसलिए कहा जाता है क्योंकि हवा चलने के कारण ही वह हलुवा, माता अंजनी की कटोरी में आकर गिरा था। भगवान हनुमान के जन्म लेते ही माता अंजना अपने शाप से मुक्त होकर वापस स्वर्ग चली गई। भगवान हनुमान सात चिरंजीवियों में से एक हैं और भगवान श्रीराम के भक्त थे। रामायण की गाथा में उनका स्थान हम सभी को पता
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