ये हैं पौराणिक कथाओं के प्रसिद्ध नाग, इस वरदान से हुआ था जन्म



प्राचीन ग्रंथों में अनेक नागों का उल्लेख किया गया है। भगवान विष्णु भी शेषनाग की शैया पर विश्राम करते हैं। इसके अलावा वासुकी, तक्षक, कालिया जैसे अनेक प्रसिद्ध नागों का जिक्र पौराणिक कथाओं में आता है।  

इस संबंध में एक पौराणिक कथा में कहा गया है कि दक्ष प्रजापति की 2 पुत्रियों कद्रू और विनता का विवाह ऋषि कश्यप से हुआ था। कद्रू ने ऋषि से वरदान मांगा कि उसे एक हजार सर्प पुत्र के रूप में प्राप्त हों। वहीं, विनता ने सिर्फ 2 पराक्रमी पुत्र मांगे। कालांतर में कद्रू को सर्प के रूप में पुत्रों की प्राप्ति हुई। जानिए, कुछ प्रसिद्ध नागों के बारे में...

शेषनाग
ये कद्रू के सर्वाधिक शक्तिशाली पुत्र थे। इन्होंने गंधमादन पर्वत पर तपस्या की थी। इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने इन्हें धर्म में अटल रहने का वरदान दिया था। क्षीरसागर में भगवान विष्णु शेषनाग की शैया पर ही विराजमान रहते हैं। लक्ष्मणजी को शेषनाग का अवतार माना जाता है।  

वासुकी नाग
इन्हें नागराज वासुकी कहा जाता है। ये भी शेषनाग के भ्राता थे। जब समुद्र मंथन हुआ तो नागराज वासुकी को देव-दानवों ने रस्सी के स्थान पर इस्तेमाल किया था। 

एक बार ये भगवान शिव के धनुष की डोर भी बने थे। वासुकी अत्यंत शक्तिशाली तथा भक्ति को समर्पित नाग माने जाते हैं।

तक्षक नाग
तक्षक का जिक्र महाभारत में भी आता है। शृंगी ऋषि के शाप के बाद ही तक्षक ने राजा परीक्षित को डसा था। उससे प्रतिशोध लेने के लिए परीक्षित के बेटे जनमेजय ने नाग यज्ञ किया था, ताकि सभी नागों को भस्म कर सकें। तक्षक को भगवान शिव भी धारण करते हैं।

कालिया नाग
कथाओं के अनुसार कालिया नाग यमुना में रहता था। उसके विष से यमुना का जल दूषित हो रहा था। एक बार खेल के दौरान कृष्ण की गेंद यमुना में चली गई तो वे जल में कूद गए। उनका कालिया नाग से युद्ध हुआ। कृष्ण से कालिया नाग परास्त हो गया। बाद में कृष्ण ने उसे क्षमा कर दिया और वह अन्यत्र चला गया।

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