कलियुग के अंत मे विष्णु जी लेंगे कल्कि अवतार -At the end of Kali Yuga, Vishnu will take the Kalki avatar



कहां और किसके घर लेंगे भगवान कल्कि अवतार
श्रीमद्भागवत-महापुराण के बारवें स्कन्द में दिया गया श्लोक-

सम्भलग्राममुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मनः।
भवने विष्णुयशसः कल्किः प्रादुर्भविष्यति।।

श्लोक का अर्थ- शम्भल-ग्राम में विष्णुयश नाम के एक ब्राह्मण होंगे। उनका ह्रदय बड़ा उदार और भगवतभक्ति पूर्ण होगा। उन्हीं के घर कल्कि भगवान अवतार ग्रहण करेंगे।

श्रीमद्भागमत-महापुराण में बताई गई जगह आज उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जिले में संभल नाम से मौजूद है। यहीं पर भगवान विष्णु अपना कल्कि अवतार लेंगे। कल्कि देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर संसार से पापियों का विनाश करेंगे और फिर से धर्म की स्थापना करेंगे।

किस दिन होगा कल्कि अवतार
पुराणों के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को कल्कि अवतार होगा, इसलिए इस दिन कल्कि जयंती का पर्व मनाया जाता है। कल्कि अवतार कलियुग व सतयुग के संधिकाल में होगा। यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा।

कहां है भगवान कल्कि का मंदिर
भगवान श्री कल्कि का प्राचीन कल्कि विष्णु मंदिर उत्तर प्रदेश के संभल जिले में है। पुराणों में संभल जिले को शंभल के नाम से पुकारा गया है। संभल में स्थापित प्राचीन श्री कल्कि विष्णु मन्दिर का इतिहास भी बहुत रोचक व अनोखा है। संभल जिले में भगवान श्री कल्कि का यह मन्दिर अपने वास्तु शास्त्र, अपने श्री विग्रह, अपनी वाटिका, अपने साथ स्थापित भगवान शिव के कल्केश्वर रूप और अपने शिखर पर बैठने वाले तोतों के कारण अद्भुत है।

कोई भी भक्त नहीं छू सकता यहां भगवान की मूर्ति
इस मन्दिर में भगवान कल्कि की मूर्ति को छूना सभी भक्तों के लिए मना है। भगवान की पूज्य और भक्तों द्वारा लाए गए प्रसाद का भोग यहां के पुजारी ही करा सकते हैं। पुजारी के अलावा अन्य सभी लोगों के दूर से ही भगवान के दर्शन करने होते हैं।


मंदिर के पास है एक अनोखा शिव मंदिर
इस मन्दिर परिसर में मुख्य मन्दिर के पास ही भगवान शिव का एक अनोखा मंदिर भी है। इस मंदिर को अनोखा इसलिए माना जाता है क्योंकि इस मंदिर में भगवान शिव की मूछों वाली प्रतिमा है। इस मन्दिर का इतिहास भी बहुत रोचक और पौराणिक माना जाता है।

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